होलाष्टक क्या है ?

फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा तिथी अर्थात होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक कहा जाता है । होलाष्टक के इन आठ दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नही किये जाते।होलाष्टक क्यो अशुभ है इसके दो पौराणिक कारण है 1 भक्त प्रहलाद को उसके पिता हिरण्यकश्यप ने भगवान नारायण की भक्ति से दूर रखने के लिए इन आठ दिनों तक प्रहलाद को बहुत कठिन यातनाये दी थी । आठवें दिन होलिका की गोद मे प्रहलाद को बैठा कर आग लगा दी थी होलिका तो जलकर भष्म हो गई और प्रहलाद बच गये थे ।2 देवताओ के कहने पर कामदेव ने भगवान शिव जी की तपस्या भंग करने के लिए बहुत प्रयास किये तो शिव जी ने फाल्गुन अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। अतः इन आठ दिनों में कोई भी शुभ कार्य नही किया जाता ।इस वर्ष होलाष्टक 21 मार्च रविवार से प्रारंभ हो रहे है और 28 मार्च होलिका दहन तक रहेंगे ।

Aacharya Rajesh TamrakarAssistant Profesar Maharshi MaheshYogi Vaidik Vishwvidyalaya
Jyotish & Vastu DepartmentVijay Nagar JabalpurJabalpur.M)9826446569

सुख शांति हेतु अपनाये आसान उपाय

 

1 – पारिवारिक अशांति व तनाव दूर करने के लिए गाय के दूध से शिव अभिषेक बहुत ही मंगलकारी है।
2- काम, आजीविका, नौकरी में तरक्की या अच्छे रोजगार की कामना है तो शिवलिंग का शहद की धारा से अभिषेक करें।
3- लंबी या लाइलाज बीमारी से तंग हैं तो पंचमुखी शिवलिंग पर तीर्थ का जल अर्पित करने से रोगमुक्त होंगे। 
4- सोमवार को शिवलिंग में आंकड़े का फूल या धतूरा चढ़ाने से पारिवारिक, कार्यक्षेत्र या अदालती विवादों से छुटकारा या मनचाहे नतीजे मिलते हैं।
5- मान्यताओं में शिव को भांग प्रेमी भी माना जाता है। दूध में भांग मिलाकर मानसिक परेशानियों से मुक्ति पाएं।
6- सोमवार कालसर्प दोष शांति के लिए बहुत शुभ है। इसलिए इसके लिए जिम्मेदार राहु ग्रह के 18000 मंत्र जप किसी विद्वान ब्राह्मण से जानकर अवश्य करें।
7- इन सब उपायों में से कोई भी न कर सके तो कम से कम सोमवार शिव को पावन जल और बिल्वपत्र ही अर्पित कर दें। इससे जीवन में हो रही हर उथल-पुथल थम जाएगी।
इस 1 शिव मंत्र से ही बंध जाएगा परेशानियों का पुलिंदा भगवान शिव ‘हर’ नाम से भी पूजनीय है। जिसके पीछे धार्मिक आस्था से यही भाव है कि शिव भक्त की पुकार पर उसकी सभी कष्ट व पीड़ाओं को हर यानी हरण कर लेते हैं। पौराणिक प्रसंग भी उजागर करते हैं कि चाहे वह समुद्र मंथन से निकले हलाहल यानी विष को पीने की बात हो या स्वर्ग से उतरी देव नदी गंगा के वेग को थामने के लिए उसे अपनी जटाओं में स्थान देने की बात, शिव ने संसार के संकटों को कल्याण भाव से हर लिया।

यही कारण है कि सांसारिक जीवन में हर परेशानियों से मुक्ति या कामनासिद्धि के लिए हर यानी शिव का ध्यान बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। शिव उपासना की विशेष घडिय़ों में सोमवार का दिन बहुत शुभ है।

सोमवार की मंगल घड़ी में अगर नीचे लिखे सरल मंत्र से शिवलिंग की सामान्य पूजा भी करें तो यह पीड़ा व कष्टों से जल्द निजात दिलाने वाला उपाय माना गया है। जानते हैं विशेष शिव मंत्र, जिसमें शिव की अद्भुत महिमा व स्वरूप की वंदना है –

8- सोमवार को स्नान के बाद स्वच्छ व सफेद वस्त्र पहन शांत मन से शिवालय या घर पर स्फटिक या धातु से बनी शिवलिंग को खासतौर पर शांति की कामना से दूध व शुद्ध जल से स्नान कराएं।
9- शिव को सफेद चंदन, वस्त्र, अक्षत, बिल्वपत्र, सफेद आंकड़े के फूल व श्रीफल यानी नारियल पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नम: शिवाय बोलते हुए चढाएं व पूजा के बाद नीचे लिखे शिव का श्रद्धा से स्मरण या जप करें –
शिवो गुरु: शिवो देव: शिवो बन्धु: शरीरिणाम्। शिव आत्मा शिवो जीव: शिवादन्यन्न किञ्चन।।
इसमें शिव की महिमा है कि शिव से अलग कुछ भी नहीं है, यानी शिव ही गुरु है, शिव देव हैं, शिव सभी प्राणियों के बन्धु हैं, शिव ही आत्मा है और शिव ही जीव हैं।
10- इस मंत्र स्मरण व पूजा के बाद दूध की मिठाई का भोग लगा शिव की आरती धूप, दीप व कर्पूर से करें। प्रसाद ग्रहण कर सुकूनभरे जीवन की कामना से सिर पर शिव को अर्पित सफेद चंदन लगाएं।

Rajesh Tamrakar

Jyotish & Vastu Advisor
106,Ubale House Sant Santa Colony
Janki Nagar
Jabalpur.
M)9826446569

दीपावली में अपनाये ये उपयोगी उपाय जो सुख समृद्धि बढ़ाये

   दीपावली में अपनाये ये उपयोगी उपाय जो सुख समृद्धि बढ़ाये

1- धनतेरस के दिन हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के मुख्य द्वार पर ‘ऊँ’ बनाने से धन आयेगा।
2- नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावाली को प्रातःकाल हाथी को गन्ना या मीठा खिलाने से अधिक तकलीफों से मुक्ति मिलती है।
3-दीपावली के दिन किसी भिखारी या गरीब को नौ किलो गेहूं का दान करें और अगले दिन मुख्य द्वार को रंगोली से सजाएं।
4-दीपावली पूजन के बाद शंख और डमरू बजाने से दरिद्रता जाती है और लक्ष्मी आती है।
5-लक्ष्मी पूजन करते समय हकीक की भी पूजा कर उसे धारण करने से धन की वृद्धि होती है। ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी गणेश और धन की देवी लक्ष्मी हैं। इन दोनों का संयुक्त यंत्र महायंत्र कहलाता है। इस दिन इस यंत्र की स्थापना से घर में धन-सम्पत्ति की कमी नहीं रहती है।
6-दीपावली पर ‘श्री यंत्र’, कनकधारा ‘यंत्र’ और ‘कुबेर यंत्र’ की विधिवत स्थापना करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
7 -दीपावली की सुबह को गन्ने की जड़ को लाकर रात्रि को लक्ष्मी पूजन में इसकी भी पूजा करने से धन में लाभ मिलता है।
8-लक्ष्मी पूजा में 11 कौड़ियां लक्ष्मी पर चढ़ाएं। अगले दिन कौड़ियों को लाल रूमाल या लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें, धन में वृद्धि होती है।
9-दीपावली के दिन पति-पत्नी सुबह विष्णु मंदिर में एक साथ जाएं और वहां लक्ष्मी को वस्त्र चढ़ाएं, धन की कमी नहीं रहेगी।
10-लक्ष्मी पूजन के समय लक्ष्मी को कमल अर्पित करें और कमल गट्टे की माला से जाप करें, लक्ष्मी अधिक प्रसन्न होती है।
11-दीपावली के दिन अशोक के वृक्ष की जड़ का पूजन करने से धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
12-दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को पूए का भोग लगाकर उसे गरीबों में बांटने से चढ़ा हुआ कर्जा उतर जाता है।
13-दीपावली के दिन अपामार्ग की जड़ अपनी दाईं भुजा में बांधें, आर्थिक समस्याएं समाप्त होंगी।
14-दीपावली के दिन पानी का घड़ा लाकर रसोई घर में कपड़े से ढँककर रखने से घर में बरकत और खुशहाली रहेगी।
15-दीपावली के दिन इमली के पेड़ की टहनी काटकर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान में रखें- धन में वृद्धि होगी।
16-दीपावली के दिन सायंकाल को बरगद की जटा में गांठ लगा दें, ऐसा करने से अचानक धन मिलता है, धन मिलने के बाद उस गांठ को खोल दें।
17-दीपावली वाले दिन काली हल्दी को सिंदूर और धूप से पूजा के बाद से चांदी के दो सिक्के के साथ लाल कपड़े में लपेटकर धन के स्थान पर रखें तो आर्थिक समस्याएं नहीं रहेंगी।
18-दीपावली वाले दिन दोपहर के समय पीपल के पेड़ की छाया में खड़े होकर चीनी, दूध और घी मिलाकर उसे उस वृक्ष की जड़ में डालें, अभूतपूर्व आर्थिक समृद्धि होगी।
19-यदि आप का पैसा कहीं फंस गया है तो दीपावली के दिन प्रातःकाल जल में लाल मिर्च के 21 बीज डालकर सूर्य को अर्पित करें। आप का फंसा हुआ पैसा निकल आयेगा।
20-दीपावली के अगले दिन गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें पुराने गुड़ की एक डेली और मीठा तेल डालें और दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार के बीच में रख दें इससे सुख समृद्धि घर में सदा बनी रहेगी।
21-दीपावली के दिन श्यामा तुलसी के इर्द-गिर्द उगने वाली घास को पीले कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान में रखें आर्थिक समृद्धि होने लगेगी।
22-दीपावली के दिन सायंकाल पीपल के पेड़ के नीचे सात दीपक जलाएं और सात बार वृक्ष की परिक्रमा करें। इससे सभी आर्थिक समस्याओं का अंत हो जायेगा।
23-दीपावली के दिन श्मशान में स्थित शिव मंदिर में जाकर दूध और शहद मिलाकर अभिषेक करें। सट्टे और शेयर बाजार से धन मिलेगा।
24-यदि आपके जीवन में कोई आर्थिक संकट की स्थिति चल रही हो, तो दीपावली के दिन एक मिट्टी के बर्तन में शहद भर लें तथा उसे ढँककर किसी सुनसान स्थान में गाड़कर आ जायें आपका संकट टल जायेगा।
25-दीपावली के दिन काली हल्दी के नौ दाने लेकर उन्हें रेशमी धागे में पिरोकर उसकी माला बना लें और धूप दीप दिखाएं फिर गले में धारण कर लें। यदि किसी तंत्र बाधा के कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ गई होगी तो ठीक हो जायेगी।
26-दीपावली से पूर्व मंगलवार के दिन लाल चंदन, लाल गुलाब के पुष्प और रोली आदि को लाल कपड़े में बांधकर दीपावली की रात्रि को धन के स्थान या तिजोरी में रख दें धन में वृद्धि होगी।
27-दीपावली के दिन प्रातःकाल उठकर तुलसी के पत्तों की माला बनाकर श्री महालक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें, ऐसा करने से धन में वृद्धि होगी।
28-दीपावली के दिन काली मिर्च के दाने ‘क्लीं’ बीज मंत्र के जाप के साथ अपने तथा परिवार के सदस्यों के सिर पर घुमाकर दक्षिण दिशा में घर से बाहर फेंक दें, धन की वृद्धि होगी और शत्रु शांत हो जायेंगे।
29-दीपावली की रात्रि को हल्दी की 11 गांठ लें। इन्हें पीले कपड़े में बांधें। फिर लक्ष्मी-गणेश का संयुक्त फोटो अपने पूजा के स्थान पर रखें, घी का दीपक जलाएं। चंदन-पुष्प आदि चढ़ाएं इसके पश्चात् निम्न मंत्र का जाप 11 माला करें। मंत्र – ‘‘ऊँ वक्रतुंडाय हुँ’’।। फिर पीले कपड़े में बंधी हुई हल्दी की गांठों को निकालें और श्री-श्री का जाप करें और फिर धन के स्थान में रख दें। धन की कमी नहीं होगी।
30-दीपावली की शाम एक सुपारी व ताबें का एक सिक्का लेकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। रविवार को उसी पेड़ के पीपल का पत्ता लाकर कार्य स्थल पर गद्दी के नीचे या गद्दी के पास रख दें व्यापार में वृद्धि होगी।
31-दीपावली की रात्रि से शुरु कर लगातार 7 दिन महालक्ष्मी यंत्र के सम्मुख कमल गट्टे की माला से ‘ऊँ महालक्ष्म्यै’ नमः मंत्र का जाप 11 माला करें, अंतिम दिन किसी ब्राह्मण को भोजन करायें, आर्थिक उन्नति होगी।
32-दीपावली के दिन से लगातार 51 दिनों तक एक रुपया किसी भी मंदिर में मां लक्ष्मी के नाम से अर्पित करें तथा धन वृद्धि के लिए मां लक्ष्मी से प्रार्थना करें, धन की वृद्धि जरूर होगी।
33-दीपावली के अवसर पर यदि कोई हिजड़ा इनाम लेने आये, तो उसे श्रद्धानुसार 21, 35, 51 रूपये दें तथा एक सिक्का उससे लेकर या उससे स्पर्श करवाकर तिजोरी में रखें, धन की कमी वर्ष भर नहीं रहेगी।
34-दीपावली के दिन पीपल का एक पत्ता जो अख्ंाडित हो, प्रार्थना करके ले आयें, उसे पूजा स्थान में रखें। फिर प्रत्येक शनिवार को नया पत्ता लायें और पुराने पत्तों को पेड़ के नीचे रख आयें घर में लक्ष्मी का स्थाई वास रहेगा।
35-लक्ष्मी समुद्र की पुत्री हैं, समुद्र से उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख, मोती शंख एवं गोमती चक्र लक्ष्मी के भाई बंधु हैं। दीपावली की रात्रि से इन्हें घर में रखें और पूजन करें लक्ष्मी नहीं जायेंगी।
36-दीपावली के दिन झाड़ू खरीदकर लायें। पूजा से पहले उससे थोड़ी सी सफाई करें फिर उसे एक तरफ रख दें। अगले दिन से उस झाड़ू का प्रयोग करें। इससे दरिद्रता जायेगी और लक्ष्मी का आगमन होगा।
37-नरक चतुर्दशी को संध्या समय घर की पश्चिमी दिशा में खुले स्थान पर अथवा घर के पश्चिम में 14 दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं, उनके आशीर्वाद से समृद्धि होगी।
38-दीपावली के पांच पर्व होते हैं (धनतेरस, चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया)। पांचों दिन दीपक (चार छोटे, एक बड़ा) जरूर जलाएं। दीपक रखने से पहले आसन बिछाएं फिर खील, चावल रखें तथा उस पर दीपक रखें। धन की वृद्धि सदा बनी रहेगी।
39-भाई दूज के दिन एक मुट्ठी अखंडित बासमती चावल को बहते जल में महालक्ष्मी को याद करते हुए छोड़ें, धन की वृद्धि बनी रहेगी।
40-दीपावली की रात्रि में काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उतारें और घर की पश्चिम दिशा में फेंक दें, ऐसा करने से धन हानि बंद हो जायेगी।
रोज कार्यस्थल पर जाने से पहले निम्नलिखित मंत्र का एक माला जप करें ‘ऊँ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृह धनं पूरय पूरय चिन्तायै दूरय दूरय स्वाहा’’। इससे व्यवसाय में अद्भुत लाभ होगा।
41-एक चैकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर पारद लक्ष्मी जी को स्थापित करें, फिर 7 कौड़ियों को लक्ष्मी जी के ऊपर से उतारते हुए उनके चरणों में रखें। कौड़ियों को उतारते समय निम्न मंत्र का जाप करें। मंत्र: ‘‘ऊँ श्रीं ह्रीं महालक्ष्मी मम गृह आगच्छ स्थिर फट्’’।। इस उपाय से लक्ष्मी जी का स्थिर निवास रहेगा।
42-दीपावली के बाद पहली बार जब चंद्रमा दिखाई दे तो उस दिन से अगली पूर्णिमा तक हर रोज रात को केले के पŸो पर दही-भात (चावल) रखकर चंद्रमा को दिखाएं और फिर मंदिर में पुजारी को दे दें। इससे चंद्रमा अचानक धन देता है।
आंवले के फल में, गोबर में, शंख में, कमल में और सफेद वस्त्रों में लक्ष्मी का वास रहता है। इनका प्रयोग करें- आंवला सदा घर में या गल्ले में रखें।
43-दीपावली के दिन अपनी दुकान के गल्ले के नीचे काली गुंजा के दाने डालकर निम्न मंत्र का 5 माला जप करें और रोज महालक्ष्मी जी के सामने दीपक जलाएं। व्यवसाय में होने वाली हानि रुक जायेगी। ‘‘ऊँ ऐं ह्रीं विजय वर दाय देवी मम’’।
44-कमल के बीज के 108 दाने घी में डुबोकर एक-एक करके अग्नि में लक्ष्मी मंत्र का जाप करते हुए समर्पित करके आहुति दें। घर की दरिद्रता दूर हो जायेगी।
45-दीपावली की रात्रि एक चैकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। गेहूं से उस पर स्वास्तिक बनायें, फिर उस पर एक थाली रखें फिर थाली में कुंकुम (कुमकुम) से ‘‘गं’’ लिखें उस पर श्वेतार्क गणपति श्रीफल व 7 कौड़ियां रखें। फिर चंदन की माला से निम्न मंत्र का जप करें। ‘‘ऊँ सर्व सिद्धि प्रदायेकित्व सिद्धि बुद्धि प्रदो भवः श्री’’। अगले दिन 5 कन्याओं को पीला भोजन कराएं। श्वेतार्क को घर में रखें शेष सामग्री जल में प्रवाहित कर दें।
दुकान के गल्ले में कमल के बीज के साथ श्री यंत्र रखें एवं रोज धूप दीप दिखाएं। धन की कमी नहीं रहेगी।
चैतीसा यंत्र सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है, इसे दीपावली की रात या रवि पुष्य नक्षत्र के दिन केसर से अनार की कलम से भोज पत्र पर लिखें। यंत्र लिखते समय लक्ष्मी जी के किसी मंत्र का जाप करते रहें, फिर घर या दुकान में रखें। लक्ष्मी जी का वास स्थाई रूप से रहेगा।
व्यापार वृद्धि के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र का उपयोग करना चाहिए। इसे दीपावली के दिन केसर से अनार की कलम से भोज पत्र पर बनाएं। इसमें एक वर्ग बनाकर 9 उपवर्ग बनाएं। पहली पक्ति में 8, 1, 6 दूसरी पंक्ति में 3, 6, 7 और तीसरी पंक्ति में 4, 9, 2 लिखें।

फिर इस यंत्र की रोज पूजा करें। इससे व्यापार में वृद्धि होगी, धन का आगमन होता रहेगा।

 

46-दुकान के गल्ले में कमल के बीज के साथ श्री यंत्र रखें एवं रोज धूप दीप दिखाएं। धन की कमी नहीं रहेगी।
47-चैतीसा यंत्र सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है, इसे दीपावली की रात या रवि पुष्य नक्षत्र के दिन केसर से अनार की कलम से भोज पत्र पर लिखें। यंत्र लिखते समय लक्ष्मी जी के किसी मंत्र का जाप करते रहें, फिर घर या दुकान में रखें। लक्ष्मी जी का वास स्थाई रूप से रहेगा।
48-व्यापार वृद्धि के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र का उपयोग करना चाहिए। इसे दीपावली के दिन केसर से अनार की कलम से भोज पत्र पर बनाएं। इसमें एक वर्ग बनाकर 9 उपवर्ग बनाएं। पहली पक्ति में 8, 1, 6 दूसरी पंक्ति में 3, 6, 7 और तीसरी पंक्ति में 4, 9, 2 लिखें।फिर इस यंत्र की रोज पूजा करें। इससे व्यापार में वृद्धि होगी, धन का आगमन होता रहेगा।


49-. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन पूर्ण होने पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है।
50-दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है। मां लक्ष्मी घर में आती हैं।
51-घर के मुख्य द्वार पर कुमकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। द्वार के दोनों ओर कुमकुम से ही शुभ-लाभ लिखें।
इन उपयो  से कोई भी  उपाय जो आप कर सकते है उन्हें  कर लेने से अभीष्ट लाभ की प्राप्ति हो सकती हैः 
आचार्य राजेश ताम्रकार

असि.प्रो (ज्योतिष विभाग )

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्व विद्यालय जबलपुर 

 

दीपावली में अपनाये ये उपयोगी उपाय जो सुख समृद्धि बढ़ाये

1- धनतेरस के दिन हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के मुख्य द्वार पर ‘ऊँ’ बनाने से धन आयेगा।
2- नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावाली को प्रातःकाल हाथी को गन्ना या मीठा खिलाने से अधिक तकलीफों से मुक्ति मिलती है।
3-दीपावली के दिन किसी भिखारी या गरीब को नौ किलो गेहूं का दान करें और अगले दिन मुख्य द्वार को रंगोली से सजाएं।
4-दीपावली पूजन के बाद शंख और डमरू बजाने से दरिद्रता जाती है और लक्ष्मी आती है।
5-लक्ष्मी पूजन करते समय हकीक की भी पूजा कर उसे धारण करने से धन की वृद्धि होती है। ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी गणेश और धन की देवी लक्ष्मी हैं। इन दोनों का संयुक्त यंत्र महायंत्र कहलाता है। इस दिन इस यंत्र की स्थापना से घर में धन-सम्पत्ति की कमी नहीं रहती है।
6-दीपावली पर ‘श्री यंत्र’, कनकधारा ‘यंत्र’ और ‘कुबेर यंत्र’ की विधिवत स्थापना करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
7 -दीपावली की सुबह को गन्ने की जड़ को लाकर रात्रि को लक्ष्मी पूजन में इसकी भी पूजा करने से धन में लाभ मिलता है।
8-लक्ष्मी पूजा में 11 कौड़ियां लक्ष्मी पर चढ़ाएं। अगले दिन कौड़ियों को लाल रूमाल या लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें, धन में वृद्धि होती है।
9-दीपावली के दिन पति-पत्नी सुबह विष्णु मंदिर में एक साथ जाएं और वहां लक्ष्मी को वस्त्र चढ़ाएं, धन की कमी नहीं रहेगी।
10-लक्ष्मी पूजन के समय लक्ष्मी को कमल अर्पित करें और कमल गट्टे की माला से जाप करें, लक्ष्मी अधिक प्रसन्न होती है।
11-दीपावली के दिन अशोक के वृक्ष की जड़ का पूजन करने से धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
12-दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को पूए का भोग लगाकर उसे गरीबों में बांटने से चढ़ा हुआ कर्जा उतर जाता है।
13-दीपावली के दिन अपामार्ग की जड़ अपनी दाईं भुजा में बांधें, आर्थिक समस्याएं समाप्त होंगी।
14-दीपावली के दिन पानी का घड़ा लाकर रसोई घर में कपड़े से ढँककर रखने से घर में बरकत और खुशहाली रहेगी।
15-दीपावली के दिन इमली के पेड़ की टहनी काटकर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान में रखें- धन में वृद्धि होगी।
16-दीपावली के दिन सायंकाल को बरगद की जटा में गांठ लगा दें, ऐसा करने से अचानक धन मिलता है, धन मिलने के बाद उस गांठ को खोल दें।
17-दीपावली वाले दिन काली हल्दी को सिंदूर और धूप से पूजा के बाद से चांदी के दो सिक्के के साथ लाल कपड़े में लपेटकर धन के स्थान पर रखें तो आर्थिक समस्याएं नहीं रहेंगी।
18-दीपावली वाले दिन दोपहर के समय पीपल के पेड़ की छाया में खड़े होकर चीनी, दूध और घी मिलाकर उसे उस वृक्ष की जड़ में डालें, अभूतपूर्व आर्थिक समृद्धि होगी।
19-यदि आप का पैसा कहीं फंस गया है तो दीपावली के दिन प्रातःकाल जल में लाल मिर्च के 21 बीज डालकर सूर्य को अर्पित करें। आप का फंसा हुआ पैसा निकल आयेगा।
20-दीपावली के अगले दिन गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें पुराने गुड़ की एक डेली और मीठा तेल डालें और दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार के बीच में रख दें इससे सुख समृद्धि घर में सदा बनी रहेगी।
21-दीपावली के दिन श्यामा तुलसी के इर्द-गिर्द उगने वाली घास को पीले कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान में रखें आर्थिक समृद्धि होने लगेगी।
22-दीपावली के दिन सायंकाल पीपल के पेड़ के नीचे सात दीपक जलाएं और सात बार वृक्ष की परिक्रमा करें। इससे सभी आर्थिक समस्याओं का अंत हो जायेगा।
23-दीपावली के दिन श्मशान में स्थित शिव मंदिर में जाकर दूध और शहद मिलाकर अभिषेक करें। सट्टे और शेयर बाजार से धन मिलेगा।
24-यदि आपके जीवन में कोई आर्थिक संकट की स्थिति चल रही हो, तो दीपावली के दिन एक मिट्टी के बर्तन में शहद भर लें तथा उसे ढँककर किसी सुनसान स्थान में गाड़कर आ जायें आपका संकट टल जायेगा।
25-दीपावली के दिन काली हल्दी के नौ दाने लेकर उन्हें रेशमी धागे में पिरोकर उसकी माला बना लें और धूप दीप दिखाएं फिर गले में धारण कर लें। यदि किसी तंत्र बाधा के कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ गई होगी तो ठीक हो जायेगी।
26-दीपावली से पूर्व मंगलवार के दिन लाल चंदन, लाल गुलाब के पुष्प और रोली आदि को लाल कपड़े में बांधकर दीपावली की रात्रि को धन के स्थान या तिजोरी में रख दें धन में वृद्धि होगी।
27-दीपावली के दिन प्रातःकाल उठकर तुलसी के पत्तों की माला बनाकर श्री महालक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें, ऐसा करने से धन में वृद्धि होगी।
28-दीपावली के दिन काली मिर्च के दाने ‘क्लीं’ बीज मंत्र के जाप के साथ अपने तथा परिवार के सदस्यों के सिर पर घुमाकर दक्षिण दिशा में घर से बाहर फेंक दें, धन की वृद्धि होगी और शत्रु शांत हो जायेंगे।
29-दीपावली की रात्रि को हल्दी की 11 गांठ लें। इन्हें पीले कपड़े में बांधें। फिर लक्ष्मी-गणेश का संयुक्त फोटो अपने पूजा के स्थान पर रखें, घी का दीपक जलाएं। चंदन-पुष्प आदि चढ़ाएं इसके पश्चात् निम्न मंत्र का जाप 11 माला करें। मंत्र – ‘‘ऊँ वक्रतुंडाय हुँ’’।। फिर पीले कपड़े में बंधी हुई हल्दी की गांठों को निकालें और श्री-श्री का जाप करें और फिर धन के स्थान में रख दें। धन की कमी नहीं होगी।
30-दीपावली की शाम एक सुपारी व ताबें का एक सिक्का लेकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। रविवार को उसी पेड़ के पीपल का पत्ता लाकर कार्य स्थल पर गद्दी के नीचे या गद्दी के पास रख दें व्यापार में वृद्धि होगी।
31-दीपावली की रात्रि से शुरु कर लगातार 7 दिन महालक्ष्मी यंत्र के सम्मुख कमल गट्टे की माला से ‘ऊँ महालक्ष्म्यै’ नमः मंत्र का जाप 11 माला करें, अंतिम दिन किसी ब्राह्मण को भोजन करायें, आर्थिक उन्नति होगी।
32-दीपावली के दिन से लगातार 51 दिनों तक एक रुपया किसी भी मंदिर में मां लक्ष्मी के नाम से अर्पित करें तथा धन वृद्धि के लिए मां लक्ष्मी से प्रार्थना करें, धन की वृद्धि जरूर होगी।
33-दीपावली के अवसर पर यदि कोई हिजड़ा इनाम लेने आये, तो उसे श्रद्धानुसार 21, 35, 51 रूपये दें तथा एक सिक्का उससे लेकर या उससे स्पर्श करवाकर तिजोरी में रखें, धन की कमी वर्ष भर नहीं रहेगी।
34-दीपावली के दिन पीपल का एक पत्ता जो अख्ंाडित हो, प्रार्थना करके ले आयें, उसे पूजा स्थान में रखें। फिर प्रत्येक शनिवार को नया पत्ता लायें और पुराने पत्तों को पेड़ के नीचे रख आयें घर में लक्ष्मी का स्थाई वास रहेगा।
35-लक्ष्मी समुद्र की पुत्री हैं, समुद्र से उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख, मोती शंख एवं गोमती चक्र लक्ष्मी के भाई बंधु हैं। दीपावली की रात्रि से इन्हें घर में रखें और पूजन करें लक्ष्मी नहीं जायेंगी।
36-दीपावली के दिन झाड़ू खरीदकर लायें। पूजा से पहले उससे थोड़ी सी सफाई करें फिर उसे एक तरफ रख दें। अगले दिन से उस झाड़ू का प्रयोग करें। इससे दरिद्रता जायेगी और लक्ष्मी का आगमन होगा।
37-नरक चतुर्दशी को संध्या समय घर की पश्चिमी दिशा में खुले स्थान पर अथवा घर के पश्चिम में 14 दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं, उनके आशीर्वाद से समृद्धि होगी।
38-दीपावली के पांच पर्व होते हैं (धनतेरस, चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया)। पांचों दिन दीपक (चार छोटे, एक बड़ा) जरूर जलाएं। दीपक रखने से पहले आसन बिछाएं फिर खील, चावल रखें तथा उस पर दीपक रखें। धन की वृद्धि सदा बनी रहेगी।
39-भाई दूज के दिन एक मुट्ठी अखंडित बासमती चावल को बहते जल में महालक्ष्मी को याद करते हुए छोड़ें, धन की वृद्धि बनी रहेगी।
40-दीपावली की रात्रि में काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उतारें और घर की पश्चिम दिशा में फेंक दें, ऐसा करने से धन हानि बंद हो जायेगी।
रोज कार्यस्थल पर जाने से पहले निम्नलिखित मंत्र का एक माला जप करें ‘ऊँ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृह धनं पूरय पूरय चिन्तायै दूरय दूरय स्वाहा’’। इससे व्यवसाय में अद्भुत लाभ होगा।
41-एक चैकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर पारद लक्ष्मी जी को स्थापित करें, फिर 7 कौड़ियों को लक्ष्मी जी के ऊपर से उतारते हुए उनके चरणों में रखें। कौड़ियों को उतारते समय निम्न मंत्र का जाप करें। मंत्र: ‘‘ऊँ श्रीं ह्रीं महालक्ष्मी मम गृह आगच्छ स्थिर फट्’’।। इस उपाय से लक्ष्मी जी का स्थिर निवास रहेगा।
42-दीपावली के बाद पहली बार जब चंद्रमा दिखाई दे तो उस दिन से अगली पूर्णिमा तक हर रोज रात को केले के पŸो पर दही-भात (चावल) रखकर चंद्रमा को दिखाएं और फिर मंदिर में पुजारी को दे दें। इससे चंद्रमा अचानक धन देता है।
आंवले के फल में, गोबर में, शंख में, कमल में और सफेद वस्त्रों में लक्ष्मी का वास रहता है। इनका प्रयोग करें- आंवला सदा घर में या गल्ले में रखें।
43-दीपावली के दिन अपनी दुकान के गल्ले के नीचे काली गुंजा के दाने डालकर निम्न मंत्र का 5 माला जप करें और रोज महालक्ष्मी जी के सामने दीपक जलाएं। व्यवसाय में होने वाली हानि रुक जायेगी। ‘‘ऊँ ऐं ह्रीं विजय वर दाय देवी मम’’।
44-कमल के बीज के 108 दाने घी में डुबोकर एक-एक करके अग्नि में लक्ष्मी मंत्र का जाप करते हुए समर्पित करके आहुति दें। घर की दरिद्रता दूर हो जायेगी।
45-दीपावली की रात्रि एक चैकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। गेहूं से उस पर स्वास्तिक बनायें, फिर उस पर एक थाली रखें फिर थाली में कुंकुम (कुमकुम) से ‘‘गं’’ लिखें उस पर श्वेतार्क गणपति श्रीफल व 7 कौड़ियां रखें। फिर चंदन की माला से निम्न मंत्र का जप करें। ‘‘ऊँ सर्व सिद्धि प्रदायेकित्व सिद्धि बुद्धि प्रदो भवः श्री’’। अगले दिन 5 कन्याओं को पीला भोजन कराएं। श्वेतार्क को घर में रखें शेष सामग्री जल में प्रवाहित कर दें।
दुकान के गल्ले में कमल के बीज के साथ श्री यंत्र रखें एवं रोज धूप दीप दिखाएं। धन की कमी नहीं रहेगी।
चैतीसा यंत्र सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है, इसे दीपावली की रात या रवि पुष्य नक्षत्र के दिन केसर से अनार की कलम से भोज पत्र पर लिखें। यंत्र लिखते समय लक्ष्मी जी के किसी मंत्र का जाप करते रहें, फिर घर या दुकान में रखें। लक्ष्मी जी का वास स्थाई रूप से रहेगा।
व्यापार वृद्धि के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र का उपयोग करना चाहिए। इसे दीपावली के दिन केसर से अनार की कलम से भोज पत्र पर बनाएं। इसमें एक वर्ग बनाकर 9 उपवर्ग बनाएं। पहली पक्ति में 8, 1, 6 दूसरी पंक्ति में 3, 6, 7 और तीसरी पंक्ति में 4, 9, 2 लिखें।

फिर इस यंत्र की रोज पूजा करें। इससे व्यापार में वृद्धि होगी, धन का आगमन होता रहेगा।

 

इन 51 उपयो  से कोई भी दो-तीन उपाय कर लेने से अभीष्ट लाभ की प्राप्ति हो सकती हैः

चमत्कारी हत्था जोड़ी

हत्था जोड़ी प्रकृति की अनमोल देनों में से एक हैं, हत्था जोड़ी अति दुर्लभ वस्तु मानी जाति हैं क्योकि यह आसानी से प्राप्त नहीं होती, हत्था जोड़ी एक विरुपा नामक  पौधे की किसी-किसी जड़ में पायी जाता हैं, सभी जड़ों में नहीं पायी जाती। हत्थाजोड़ी का आकार हमारे दोनों हाथों के समान होता हैं, हत्थाजोड़ी में दोनो हाथ नींचे से आपस में जुडे़ हुए प्रतीत होते हैं कई-कई हत्थाजोड़ी का ऊपरी भाग भी आपसे में जुड़ा होता है, और उसके उपरी भाग में पांच-पांच उंगलियो के समान आकृतिया दिखाई देती हैं इस कारण इसे हत्थाजोड़ी के नाम से जाना जाता हैं।
हत्थाजोड़ी विभिन्न तांत्रिक प्रयोगों में काम आती हैं, विद्वानों का कहना  हैं की एक सिद्ध हत्थाजोड़ी को केवल अपने साथ रखने मात्र से ही छोटे-बडे़ अनेक संकटों का स्वतः ही निवारण हो जाता हैं। हत्था जोड़ी को अपने पास रखने से आकस्मिक दुर्घटना आदि का भय नहीं सताता। ऐसा माना जाता हैं की जिस मनुष्य के पास में हत्था जोड़ी होती हैं उसके ऊपर कोई टोने-टोटके, तांत्रिक प्रयोग आदि का प्रभाव नहीं होता हैं!
हत्थाजोड़ी का विशेष प्रयोग तांत्रिको द्वारा तंत्र क्रियाओं में किया जाता है, हत्थाजोड़ी शीघ्र प्रभावी एवं चमत्कारी वस्तु होने की कारण ही विभिन्न तंत्र शास्त्र में हत्थाजोड़ी के अनेक उपयोग बताये गये है।
– विद्यवानो का कहना  हैं की जिस मनुष्य के पास असली सिद्ध हत्थाजोड़ी होती है, उसका भाग्य दिन दोगुनी-रात चौगुनी तेजी से चमकता देखने मिलता हैं!
– ऐसी मान्यता हैं की जिस व्यक्ति के पास हत्थाजोड़ी होती हैं उसके खिलाफ किये गये सभी झुठे आरोप, षड़यंत्र, टोने-टोटके, तांत्रिक कर्म इत्यादि निष्फल हो जाते हैं, बडे़ से बडे़ शत्रु का प्रभाव उसके समक्ष क्षीण हो जाता हैं और बडे़ से बडे़ तांत्रिकों की तंत्र क्रिया निष्फल हो जाती हैं। कुछ जानकारों का तो यहां तक कहना हैं यदि कुछ विशेष मंत्रों से सिद्ध कि गई हत्थाजोड़ी को यदि व्यक्ति अपने पास रखता हैं तो उसका बडे़ से बड़ा शत्रु भी उसके आगे नतमस्तक हो जाता हैं।
–  यदि किसी व्यक्ति के ऊपर उसके विरोधी या शत्रुओं ने झुठे आरोप लगाकर कोर्ट-कचहरी, मुकदमें इत्यादि में फंसा दिया हो तो हत्थाजोड़ी के प्रभाव से उसे मुकदमे में विजय की प्राप्ति होती हैं और उसके शत्रु वशीभूत हो जाते हैं।
–  हत्थाजोड़ी को पास रखने से राजकीय अर्थात सरकारी कार्यो से जुडे़ छोटे-बडे़ सभी अधिकारी व्यक्ति के वशीभूत हो जाते हैं। यदि कोई सरकारी अधिकारी बिना किसी कारण आपको अनायास ही अपने पद व सत्ता का फायदा उठाकर आपको परेशान कर रहा हो या कष्ट दे रहे हो, तो इस में जरा भीं संदेह नहीं हैं कि हत्थाजोड़ी आपके लिये रामबाण औषधि के रुप में साबित हो सकती हैं! क्योकि हत्थाजोड़ी एक अनुभूत एवं दिव्य वस्तु हैं।
–  सिद्ध की हुई हाथाजोडी को चांदी या स्टील की डिब्बी में लौंग, इलायची व सिन्दूर के साथ ही डिब्बी को बंध कर के रखना चाहिए। दैनिक पूजन के समय उस डिब्बी को खोलकर, धूप-दीप दिखाकर उसे बंधकर देना चाहिए।
–  हाथाजोड़ी घर में होने से पति-पत्नी में आपसी प्रेम बढ़ता हैं व दांपत्य सुख में वृद्धि होती हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हेतु हत्थाजोड़ी अचूक उपाय सिद्ध हो सकती है। जिस घर में पूर्ण विधि-विधान से अभिमंत्रित या सिद्ध की गई हत्थाजोड़ी का पूजन होता है, उस घर के सदस्य सभी प्रकार की परेशानीयों से सुरक्षित रहते हैं, परिवार की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन उन्नति की ओर जाती हैं और व्यक्ति श्री सम्पन्न बना रहता है।
–  सिद्ध हाथाजोड़ी को कोई भी व्यक्ति चाहें वह स्त्री हो या पुरूष चाहे किसी धर्म या वर्ण का हो वह सरलता से पूजन कर सकते हैं। हत्थाजोड़ी का पूजन करने वाले व्यक्तियों का व्यक्तित्व एवं प्रभाव अन्य व्यक्ति की अपेक्षा निश्चित रुप से अत्याधिक प्रभावशाली होता हैं। हत्थाजोड़ी के विशेष प्रयोगों से पूजन कर्ता व्यक्ति में विलक्षण सम्मोहन शक्ति जाग्रत हो सकती हैं!
–  सिद्ध हाथाजोड़ी व्यक्ति को भूत-प्रेत, मारण-उच्चाटन, कामण-टूमण इत्यादि उपद्रवों से रक्षा होती हैं। व्यक्ति की धन-संपत्ति में निश्चित रुप से वृद्धि होने लगती हैं। हत्थाजोडी का विधिवत पूजन करने से वाणी के दोष और रोग नष्ट होते हैं। हत्थाजोडी को तिजोरी में रखने से व्यवसाय स्वतः बढने लगता हैं।
– कुछ विद्वानों का तो यहां तक कथन हैं की हाथाजोड़ी के नियमित पूजन एवं दर्शन से व्यक्ति का सोया भाग्य जाग जाता हैं, और उसके बिगडे़ कार्य जल्द ही बनने लगते है।  

 


Rajesh Tamrakar

Jyotish & Vastu Advisor
106,Ubale House Sant Santa Colony
Janki Nagar
Jabalpur.
M)9826446569

कार्तिक माह का महत्व

कार्तिक महीना शरद पूर्णिमा से आरंभ होता ,है और भगवान कृष्ण के लिए इस महीने का सबसे ज्यादा महत्व है। उन्होंने इस महीने में सबसे ज्यादा लीलाएं इस धरा में कीं।
भगवान विष्णु और राधारानी को भी यह महीना सबसे अधिक पसंद है। भगवान विष्णु ने इसमें मस्य अवतार लिया था और राधारानी को यह महीना इसलिए पसंद है क्योंकि इसमें भगवान कृष्ण ने विलक्षण लीलाएं की हैं। तुलसी महारानी के लिए भी यह महीना बेहद महत्व रखता है। तुलसी महारानी का प्राकट्य धराधाम पर कार्तिक की शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।
कार्तिक की शरद पूर्णिमा सबसे अधिक महत्व इसलिए है क्योंकि इस पावन दिवस पर भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था। इस दिन वैसे भी चांद की किरणों की शोभा निराली होती है। चांद का यौवन और शीतलता अद्भुत होती है। इस रात्रि वैष्णव भक्त खीर बनाकर उसे चंद्रमा की किरणों से आपुरित करके अगले दिन यह अमृत प्रसाद पाते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिवस पर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण तुलसी महारानी की पूजा निम्नलिखित मंत्र से करते हैं :-
वृंदावनी, वृंदा, विश्वपूजिता, पुष्पसार।
नंदिनी, कृष्णजीवनी, विश्वपावनी, तुलसी।
इस मंत्र से पूर्णिमा के दिन जो भी श्रद्धालु तुलसी महारानी की पूजा करता है वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर गोलोक वृंदावन जाने का अधिकारी बनता है।
पद्म पुराण के अनुसार कार्तिक महीने में कई कल्पों को एकत्रित करते हुए पाप दामोदर कृष्ण को दीपदान करने से समाप्त हो जाते हैं। पद्म पुराण में कृष्ण और सत्यभामा के बीच संवाद से कार्तिक महीने में दीपदान के अद्भुत फलों का रहस्य खुलता है। पूरे कार्तिक महीने भगवान कृष्ण को (जो कि दामोदार भाव में होने चाहिए) दीया दिखाने से अश्वमेघ यज्ञ के फल से भी अधिक लाभ मिलता है।

दामोदर भाव वाले कृष्ण यशोदा के द्वारा ऊखल से बांधे गए थे, लेकिन अपने भक्तों के दीपदान से वे उनको सांसारिक सभी बंधनों से छुटकारा दिला देते हैं। पद्म पुराण के अनुसार कार्तिक में दीपदान करने वाले श्रद्धालु के पितर और अन्य परिजन कभी नरक का मुंह नहीं देखते। पूरे महीने दीपदान करके कोई भी श्रद्धालु अपनी संपत्ति दान देने के बराबर फल प्राप्त कर सकता है। जो श्रद्धालु किसी अन्य व्यक्ति को दीपदान के लिए अगर प्रेरित करता है तो उसे अग्निस्तोम यज्ञ का फल मिलता है।
गंगा या पुष्कर में स्नान करने के भी कार्तिक में बहुमूल्य लाभ हैं। इस स्थानों में स्नान करने से श्रद्धालुओं को अनगिनत पुण्य की प्राप्ति होती है।
स्कन्द पुराण में ब्रह्मा जी और नारद के बीच कार्तिक मास में दीपदान की महिमा को लेकर खासी चर्चा हुई है। उनके अनुसार ज्येष्ठ-आषाढ़ के जल दान या फिर पूरा अन्न दान के बराबर फल केवल दीपदान से मिल जाता है। इसके अतिरिक्त ब्रह्मा जी ने दीपदान को राजसुय यज्ञ और अश्वमेघ यज्ञ के समान बताया गया है। पूरे साल भर में तपस्या और भक्ति के लिए निर्दिष्ट चार महीनों यानी चातुर्मास के तीन महीनों का फल अकेले कार्तिक मास में भगवान की सेवा करके प्राप्त किया जा सकता है।
विशेष कर कार्तिक माह के आखिरी पांच दिनों, जो कि भीष्म पंचक कहलाता है उसमें की गई तपस्या का फल पूरे साल की तपस्या के बराबर है।

Rajesh Tamrakar

Jyotish & Vastu Advisor
106,Ubale House Sant Santa Colony
Janki Nagar
Jabalpur.
M)9826446569

करवा चौथ के दिन इन ६ उपायों को अपनायें

कल करवा चौथ है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर महिलाएं पूरी श्रद्धा से व्रत करने के साथ-साथ वास्तु से जुड़ी इन छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखें तो उन्हें और भी अधिक शुभ फल मिलता है साथ ही उनके वैवाहिक जीवन के साथ-साथ घर-परिवार में भी सुख-शांति बढ़ती है। ये बातें इस प्रकार हैं-
1. व्रत शुरु करने से पहले खाए जाने वाले भोजन को सरगी कहते हैं। ध्यान रखें सरगी खाते समय दक्षिण पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें। ऐसा करने से आपको पॉजिटिव एनर्जी मिलती है, जो व्रत को आसानी से पूरा करने में मददगार होगी।
2. कोशिश करें कि दोपहर का समय अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताएं। यह समय दक्षिण-पूर्व दिशा में बिताना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस दिशा का तत्व अग्नि होता है। ध्यान रखें कि इस दिशा में अपने पति से साथ समय न बिताएं।

3. व्रत की कथा सुनने के बाद अपने पति के साथ दक्षिण पश्चिम दिशा में समय बिताएं। ऐसा करने से आपके और आपके पति के संबंधों में प्यार और विश्वास बढ़ेगा। दोनों के बीच के मन-मुटाव भी धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे।
4. व्रत खत्म करते समय जब चंद्रमा को जल अर्पित करें तो कोशिश करें कि आपकी दिशा उत्तर-पश्चिम हो, क्योंकि इस दिशा का संबंध चंद्रमा से माना जाता है। ऐसा करने से आपको चंद्रमा की कृपा प्राप्त होगी और पति के साथ प्यार और संबंधों में बढ़ोतरी होगी 5. ध्यान रखें कि पूजा करते समय और कथा सुनते समय आपका मुंह उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की ओर हो। ऐसा होने से पूजा और व्रत का फल जरूर मिलता है।
6. कोशिश करें कि जिस कमरे में बाथरूम हो, उस कमरे में पूजा स्थान न बनाएं। हो सके तो करवा चौथ की पूजा के लिए घर के मंदिर या हॉल का प्रयोग करें।

स्त्रियाँ क्योँ लगाती हैँ माँग मेँ सिन्दूर और इसकी वैज्ञानिकता क्या?

स्त्रियाँ क्योँ लगाती हैँ माँग मेँ सिन्दूर और इसकी वैज्ञानिकता क्या?

(1)भारतीय वैदिक परंपरा खासतौर पर हिंदू समाज में शादी के बाद महिलाओं को मांग में सिंदूर भरना आवश्यक हो जाता है। आधुनिक दौर में अब सिंदूर की जगह कुंकु और अन्य चीजों ने ले ली है। सवाल यह उठता है कि आखिर सिंदूर ही क्यों लगाया जाता है। दरअसल इसके पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है। यह मामला पूरी तरह स्वास्थ्य से जुड़ा है। सिर के उस स्था
न पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। यह अत्यंत संवेदनशील भी होती है।

यह मांग के स्थान यानी कपाल के अंत से लेकर सिर के मध्य तक होती है। सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें पारा नाम की धातु होती है। पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है। महिलाओं को तनाव से दूर रखता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रखता है। विवाह के बाद ही मांग इसलिए भरी जाती है क्योंकि विवाहके बाद जब गृहस्थी का दबाव महिला पर आता है तो उसे तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी बीमारिया आमतौर पर घेर लेती हैं।पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो तरल रूप में रहती है। यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी है, इस कारण सिंदूर मांग में भरा जाता है।

(2)मांग में सिंन्दूर भरना औरतों के लिए सुहागिन होने की निशानी माना जाता है। विवाह के समय वर द्वारा वधू की मांग मे सिंदूर भरने के संस्कार को सुमंगली क्रिया कहते हैं।

इसके बाद विवाहिता पति के जीवित रहने तक आजीवन अपनी मांग में सिन्दूर भरती है। हिंदू धर्म के अनुसार मांग में सिंदूर भरना सुहागिन होने का प्रतीक है। सिंदूर नारी श्रंगार का भी एक महत्तवपूर्ण अंग है। सिंदूर मंगल-सूचक भी होता है। शरीर विज्ञान में भी सिंदूर महत्त्व बताया गया है।
सिंदूर में पारा जैसी धातु अधिक होनेके कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पडती। साथ ही इससे स्त्री के शरीर में स्थित विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित होती है। मांग में जहां सिंदूर भरा जाता है, वह स्थान ब्रारंध्र और अध्मि नामक मर्म के ठीक ऊपर होता है।

सिंदूर मर्म स्थान को बाहरी बुरे प्रभावों से भी बचाता है। सामुद्रिक शास्त्र में अभागिनी स्त्री के दोष निवारण के लिए मांग में सिंदूर भरने की सलाह दी गई है ।

वास्तु उपाय …… इन्हें अपने घर में जगह ना दे

वास्तु उपाय …… इन्हें अपने घर में जगह  ना  दे  

चाइनीज फेंगशुई की ही तरह भारतीय वास्‍तु भी है। हिंदू परंपरा की यह रचना घर के प्राकृतिक बलों के साथ सद्भाव को बढ़ावा देने के लिये प्रयोग की जाती है। पुराने सालों से यह माना आता जा रहा है कि घर में कुछ समान ऐसे होते हैं जिनको रखने से हमारे घर और सदस्‍यों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि अगर आप वास्‍तु के अनुसार टिप्‍स अपनाएंगे तो जिन्‍दगी में समृद्धि और खुशी बनी रहेगी। तो चलिये आज हम इसी के बारे में जानते हैं-

1. महाभारत की छवि- अपने घर पर माहाभारत की किसी भी घटना की छवि ना रख और ना ही दीवार पर लगाएं। यह दिखाता है कि घर में परिवार वालों के बीच में मची कलह का कभी अंत नहीं हो सकेगा। अगर घर पर सुख-शांति चाहते हैं तो इसकी तस्‍वीर को ना लगाएं।

2. ताज महल- भले ही लोग ताज महल को प्‍यार का प्रतीक मान कर अपने घर पर रखते हों। लेकिन उन्‍हें यह समझना चाहिये कि ताज महल में शाहजहां ने अपनी बीवी मुमताज की समाधि बनवाई थी। इसलिये अपने घर पर ना तो ताजमहल का कोई फोटो लगाएं और ना ही कोई शो पीस ही रखें क्‍योंकि यह मौत की निशानी और निष्क्रियता का प्रतीक है।

3. नटराज- गुस्‍से में नांचते हुए शिव का प्रतीक लगभग हर क्‍लासिकल डांसर के घर पर रखी होती है। पर सिक्‍के के दो पहलु होते हैं। एक ओर शिवा अपने नांच में जबरदस्‍त कला का रुप दिखा रहें हैं तो वहीं पर दूसरी ओर यह नृत्‍य विनाश का प्रतीक भी है। इसलिये आपको यह विनाश का प्रतीक अपने घर पर रखने से बसना चाहिये।

4. डूबती नांव- यह एक और छवि है जिसे आपको अपने घर पर नहीं रखनी चाहिये। डूबती हुई नांव परिवारजनों के बीच के संबन्‍ध को बिगड़ती है। इसलिये अगर आपके घर पर ऐसी कोई चीज है तो उसे निकाल फेकिये।

5. पानी का फुहारा- जिस तरह से आप अपने घर को सजाती हैं, उससे आपके व्‍यक्‍त्तिव के बारें में खूब पता चलता है। अगर आपको पानी से प्‍यार है और आपके घर में पानी का फुहारा लगा है तो उसे निकाल दें, क्‍योंकि यह बहाव को दर्शाता है। यह दिखाता है कि अगर आपके पास पैसा है तो वह ज्‍यादा दिनों तक रुकने वाला नहीं है और समय के साथ बह जाएगा।

6. जंगली जानवर- घर में किसी भी जंगली जानवर का फोटो या शोपीस नहीं लगाना चाहिये। ये प्राकृति में जंगली पन को बढ़ावा देते हैं और घर में परिवारजनों के नेचर में हिंसक दृष्टिकोण पैदा करते हैं।

— 
Rajesh Tamrakar

Jyotish & Vastu Advisor
408/2C SBI colony
Single Story
Janki Nagar
Jabalpur.
M)9826446569

जन्माष्टमी पर बन रहा है अद्भुत संयोग क्या फिर अवतार लेगे श्रीकृष्ण। ……

जन्माष्टमी पर बन रहा है अद्भुत संयोग क्या फिर अवतार लेगे श्रीकृष्ण। …….

द्वापर युग के बाद होगा ऐसा, जन्माष्टमी पर 5057 साल बाद दुर्लभ संयोग:

इस बार 28 अगस्त को मनाई जाने वाली जन्माष्टमी तिथि राशि और नक्षत्र के अनुसार बहुत ही खास है। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक 5057 साल बाद जन्म अष्टमी पर तिथि, वार, नक्षत्र व ग्रहों के अद्भुत मेल का ऐसा संयोग बना है जो श्रीकृष्ण जन्म के समय द्वापर युग में बना था।

इस लिहाज से इस बार की जन्माष्टमी विशेष फलदायी होगी। इससे पहले सन 1932 और 2000 में भी बुधवार के दिन जन्म अष्टमी पड़ी थी। उस समय तिथि और नक्षत्र का मेल नहीं था लेकिन इस बार नक्षत्र, दिन, तिथि, लग्न सभी एक साथ विद्यमान रहेंगे। अष्टमी तिथि सूर्योदय से होने के कारण वैष्णव और शैव संप्रदाय इस पर्व को एक ही दिन मनाएंगे।
गीता में श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष, अष्टम तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृषभ के चंद्रमा की मध्य रात्रि में होना बताया गया है।

28 अगस्त को भी अष्टमी तिथि पूरे दिन व रात रहेगी। दिन भी बुधवार का है तथा दोपहर 12.50 बजे से रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। चंद्रमा उच्च राशि वृषभ में रहेगा।
इस दिन जन्म लेने वाले बच्चे 28 अगस्त को जन्म लेने वाले बच्चे प्रभावशाली रहेंगे।

जन्म लग्न व राशि वृष रहेगी, सूर्य व बुध की युति फलदायक है। इस दिन जन्म लेने वाला बच्चा श्रेष्ठ, बुद्धिमान, ज्ञानी, धनवान सहित अन्य गुणों में निपुण होगा।

जन्म लग्न व राशि वृष रहेगी, सूर्य व बुध की युति फलदायक है। इस दिन जन्म लेने वाला बच्चा श्रेष्ठ, बुद्धिमान, ज्ञानी, धनवान सहित अन्य गुणों में निपुण होगा।
इस वर्ष जन्माष्टमी के दिन तिथि, नक्षत्र एवं वार का संयोग ऐसा बन रहा है जैसे भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय बना था। लेकिन कुण्डली में ग्रहों की स्थिति कृष्ण जन्म के समान नहीं है। फिर भी इस दिन जन्म लेने वाले बच्चे बुद्घिमान और ज्ञानी होंगे। आर्थिक मामलों में संपन्न एवं कूटनीतिक विषयों के जानकार रहेंगे


Rajesh Tamrakar
Jyotish & Vastu Advisor
408/2C SBI colony
Single Story
Janki Nagar
Jabalpur.